मशरुम की खेती
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अंतर्गत काम करने वाले भारतीय बाग़वानी अनुसंधान संस्थान बंगलुरू ने घरेलू स्तर पर मशरूम उत्पादन को प्रोत्साहित करने का एक कार्यक्रम तैयार किया है, जिसके तहत महिलाओं को घर बैठे उपभोग के लिए मशरूम मिलने के अलावा आय अर्जित करने का भी मौक़ा मिलता है. संस्थान की मशरूम प्रयोगशाला ने घरेलू स्तर पर मशरूम पैदा करने की ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे एक वर्ग फुट क्षेत्र में 5.5 फुट की ऊंचाई तक 1.5 से 2 किलोग्राम तक मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है.
संस्थान ने नारंगी रंग का खूबसूरत मशरूम पैदा करने की तकनीक विकसित की है, जो गमले रखने वालों और पुष्प प्रेमियों के लिए एक आकर्षण है. मशरूम को प्रोत्साहित करने का एक लाभ यह भी है कि पैदावार के बाद इसकी बची-खुची सामग्री जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और जैविक खाद तैयार करने में सहायक सिद्ध होती है.
मशरूम प्रति इकाई क्षेत्र में अधिकतम प्रोटीन देता है. इसे घर के किसी भी नमी वाले कोने में उगाया जा सकता है. महिलाएं इसे किचन गार्डन गतिविधि के रूप में अपना सकती हैं. वैसे भी देश की 50 प्रतिशत महिला आबादी कृषि से जुड़ी गतिविधियों में 90 प्रतिशत का योगदान करती है. घर में ही मशरूम की खेती करना महिलाओं की कार्यशैली और प्रबंध कौशल के सर्वथा अनुकूल है. शाकाहारी परिवारों की प्रोटीन की ज़रूरत को पूरा करने के लिए प्रोटीन से भरपूर मशरूम की खेती घर में बहुत आसानी के साथ की जा सकती है.
घर में मशरूम पैदा करना और परिवार के प्रत्येक सदस्य को 100 ग्राम मशरूम उपलब्ध कराने का मतलब है हृदय रोग के खतरे को कम करना, क्योंकि मशरूम में कोलेस्ट्रोल कम करने की क्षमता है. यह मधुमेह को नियंत्रित करता है और कैंसर रोगियों की कीमोथेरेपी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को भी कम करता है. यही नहीं, यह केलेट्रा लेने वाले एड्स रोगियों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इससे एंटी हाइपरलिपिडेमिक प्रभाव कम होता है. घरेलू स्तर पर मशरूम की खेती के अलावा संस्थान द्वारा तैयार की गई व्यवसायिक मशरूम उत्पादन तकनीक के ज़रिए ओएस्टर, बटन, मिल्की, पैडी स्ट्रा, शिटेक और रेशी आदि किस्मों के मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. दैनिक उपभोग के लिए पैदा की जाने वाली इन क़िस्मों के अलावा महिलाओं के सामने मशरूम का बीज तैयार करने का वैकल्पिक व्यवसाय भी है, क्योंकि बीज की कमी के कारण मशरूम का उत्पादन नहीं बढ़ पाता है और इसकी क़ीमत भी अधिक रहती है. मशरूम का बीज तैयार करने की तकनीक आसान है. महिलाओं को इसके लिए बहुत अधिक निवेश भी करने की जरूरत नहीं होती. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के अच्छे अवसर हैं, क्योंकि वहां मशरूम के बीजों की कमी रहती है.
भारतीय बाग़वानी अनुसंधान संस्थान बंगलुरु उत्पादकों के लिए नियमित रूप से मशरूम की खेती और इसके बीज तैयार करने के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है. मशरूम से बनने वाले नाना प्रकार के व्यंजन तैयार करना भी महिलाओं के लिए एक अनुकूल व्यवसाय है. आज के समय में जबकि कामकाजी महिलाओं के लिए घर में तरह-तरह के व्यंजन तैयार करना संभव नहीं है, पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम के व्यंजन बनाकर उनकी आपूर्ति करना एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है. मशरूम पाउडर, मशरूम पापड़ और मशरूम का अचार तैयार करने का काम कुटीर उद्योग स्तर पर किया जा सकता है. मशरूम सैंडविच, मशरूम चावल, मशरूम सूप और मशरूम करी आदि व्यंजन पहले से ही का़फी लोकप्रिय हैं. संस्थान ने नारंगी रंग का खूबसूरत मशरूम पैदा करने की तकनीक विकसित की है, जो गमले रखने वालों और पुष्प प्रेमियों के लिए एक आकर्षण है. मशरूम को प्रोत्साहित करने का एक लाभ यह भी है कि पैदावार के बाद इसकी बची-खुची सामग्री जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और जैविक खाद तैयार करने में सहायक सिद्ध होती है.
संस्थान ने नारंगी रंग का खूबसूरत मशरूम पैदा करने की तकनीक विकसित की है, जो गमले रखने वालों और पुष्प प्रेमियों के लिए एक आकर्षण है. मशरूम को प्रोत्साहित करने का एक लाभ यह भी है कि पैदावार के बाद इसकी बची-खुची सामग्री जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और जैविक खाद तैयार करने में सहायक सिद्ध होती है.
मशरूम प्रति इकाई क्षेत्र में अधिकतम प्रोटीन देता है. इसे घर के किसी भी नमी वाले कोने में उगाया जा सकता है. महिलाएं इसे किचन गार्डन गतिविधि के रूप में अपना सकती हैं. वैसे भी देश की 50 प्रतिशत महिला आबादी कृषि से जुड़ी गतिविधियों में 90 प्रतिशत का योगदान करती है. घर में ही मशरूम की खेती करना महिलाओं की कार्यशैली और प्रबंध कौशल के सर्वथा अनुकूल है. शाकाहारी परिवारों की प्रोटीन की ज़रूरत को पूरा करने के लिए प्रोटीन से भरपूर मशरूम की खेती घर में बहुत आसानी के साथ की जा सकती है.
घर में मशरूम पैदा करना और परिवार के प्रत्येक सदस्य को 100 ग्राम मशरूम उपलब्ध कराने का मतलब है हृदय रोग के खतरे को कम करना, क्योंकि मशरूम में कोलेस्ट्रोल कम करने की क्षमता है. यह मधुमेह को नियंत्रित करता है और कैंसर रोगियों की कीमोथेरेपी के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को भी कम करता है. यही नहीं, यह केलेट्रा लेने वाले एड्स रोगियों के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इससे एंटी हाइपरलिपिडेमिक प्रभाव कम होता है. घरेलू स्तर पर मशरूम की खेती के अलावा संस्थान द्वारा तैयार की गई व्यवसायिक मशरूम उत्पादन तकनीक के ज़रिए ओएस्टर, बटन, मिल्की, पैडी स्ट्रा, शिटेक और रेशी आदि किस्मों के मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. दैनिक उपभोग के लिए पैदा की जाने वाली इन क़िस्मों के अलावा महिलाओं के सामने मशरूम का बीज तैयार करने का वैकल्पिक व्यवसाय भी है, क्योंकि बीज की कमी के कारण मशरूम का उत्पादन नहीं बढ़ पाता है और इसकी क़ीमत भी अधिक रहती है. मशरूम का बीज तैयार करने की तकनीक आसान है. महिलाओं को इसके लिए बहुत अधिक निवेश भी करने की जरूरत नहीं होती. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के अच्छे अवसर हैं, क्योंकि वहां मशरूम के बीजों की कमी रहती है.
भारतीय बाग़वानी अनुसंधान संस्थान बंगलुरु उत्पादकों के लिए नियमित रूप से मशरूम की खेती और इसके बीज तैयार करने के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है. मशरूम से बनने वाले नाना प्रकार के व्यंजन तैयार करना भी महिलाओं के लिए एक अनुकूल व्यवसाय है. आज के समय में जबकि कामकाजी महिलाओं के लिए घर में तरह-तरह के व्यंजन तैयार करना संभव नहीं है, पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम के व्यंजन बनाकर उनकी आपूर्ति करना एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है. मशरूम पाउडर, मशरूम पापड़ और मशरूम का अचार तैयार करने का काम कुटीर उद्योग स्तर पर किया जा सकता है. मशरूम सैंडविच, मशरूम चावल, मशरूम सूप और मशरूम करी आदि व्यंजन पहले से ही का़फी लोकप्रिय हैं. संस्थान ने नारंगी रंग का खूबसूरत मशरूम पैदा करने की तकनीक विकसित की है, जो गमले रखने वालों और पुष्प प्रेमियों के लिए एक आकर्षण है. मशरूम को प्रोत्साहित करने का एक लाभ यह भी है कि पैदावार के बाद इसकी बची-खुची सामग्री जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और जैविक खाद तैयार करने में सहायक सिद्ध होती है.
plz send product details
ReplyDeletei am Interested in mushroom production and I want a Training in mushroom production please send detail
ReplyDeletei am Interested in mushroom production and I want a Training in mushroom production please send detail
ReplyDeletesir i want to start Mushroom production cultivation plz provide information about Mushroom cultivation in detail.
ReplyDeletemai masrum ki kheti karna ke liye jankari chahta hu . pl bataye kase kare
ReplyDeleteMai mashroom kheti karna chahatahu kaise karu aur market me beej aur kaaha bechu issi ki jaankari please muze dijiye
ReplyDeleteI am want to caltivation of mushroom and required training in mushroom production please send detail.My e-mail ID is dineshmaurya01@gmail.com cont. no.09918601260.
ReplyDeleteKindly give me advice for masrum kheti,
ReplyDelete9999421895
this is my email id komalbha1992@gmail.com plz send me all detial about productin i want to do that thank u plz explian me as soon as possible
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ReplyDelete(UP) ke Jaunpoor or Varanasi ke pass me Trening Centar Ho To jaha pe hame Hindi Bhasa me sari Jankari di jati ho wha ka No. aur Add. Hamare email pe sen kare Mera e mel ID Hai praveenchaurasia527@gmail.com.
ReplyDeleteHello sir, i want to start Mushroom production cultivation. Plz call or sent mail.
ReplyDeleteMob No:9867983234 Mail ID; sameer.chau09@gmail.com
interested candidate can visit website for know about date of training on mushroom production
ReplyDeleteweb. - www.csauk.ac.in
hi dear sir ,,mai musroom ki kheti karana chahata hu so plz give me advise...mob no....9209501472,,,,8545818262
ReplyDeleteDear Sir
ReplyDeletePl arrange to provide me details
pls send full information
ReplyDeletePLEASE NEAR VARANASI ANY MASHROOM KISHAN HO TO CALL Me mob. 9794303980
ReplyDeleteSIR MAI MASHROOM KI KHETI KARNA CHAHTA HOON MERI HELP KARE -7522801765
ReplyDeletesir ,,mai musroom ki kheti karana chahata hu jan kari chahiae
ReplyDelete8541844042