Monday 11 June 2012

Naye Rojgaar ka avsar Mushroom utpadan

नए रोजगार का अवसर -मशरूम उत्पादन


कृषि रोड मैप के नतीजे अब सामने आने लगे हैं। धान का कटोरा के रूप में विख्यात बक्सर में कई किसान परंपरागत खेती से हटकर अपनी पहचान बना रहे हैं। ऐसे ही एक किसान हैं विनोद कुमार सिंह, जिन्होंने छोटे से शहर में मशरूम की खेती कर अन्य किसानों को नई राह दिखायी है। लगभग बारह सौ वर्ग फीट में मशरूम की खेती से पन्द्रह हजार रुपये तक प्रतिमाह अर्जित करने वाले इस किसान को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण(आत्मा) ने गैर-परंपरागत खेती का रोल-माडल चुना है। आत्मा के सहयोग से ही अन्य किसानों को प्रेरित करने के लिए श्री सिंह के मशरूम बाग में हर सप्ताह कृषक पाठशाला आयोजित किये जा रहे हैं।

कैसे मिली प्रेरणा

सिमरी प्रखंड के किसान-श्री रह चुके किसान विनोद कुमार सिंह को मशरूम की खेती की प्रेरणा रांची में इसकी खेती कर रहे किसान भाइयों से मिली। शुरू में उन्होंने एक कमरे में इसका उत्पादन शुरू किया। लागत कम और मुनाफा ज्यादा देख उन्होंने बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती शुरू कर दी।

मार्केट की समस्या अब नहीं

किसान ने बताया कि दस साल पहले जब उन्होंने प्रयोग के तौर पर इसकी खेती प्रारंभ की तो तैयार माल को खपाना बड़ी समस्या थी। यहां कोई खरीददार नहीं मिलते थे। तब उन्होंने इसकी खेती बंद कर परंपरागत धान व गेहूं की खेती में लग गये। चार साल पूर्व दुबारा खेती शुरू की तो बाजार की समस्या नहीं रही। छोटकी सारीमपुर स्थित उनके मशरूम के बाग से प्रतिमाह डेढ़ क्विंटल से ज्यादा माल निकलता है और सौ रुपये प्रति किलो के हिसाब से आसानी से बाजार में बिक जाता है।

कैसे पाते हैं बेहतर उपज

श्री सिंह बताते हैं कि एक किलो मशरूम तैयार करने में बीस रुपये तक का खर्च आता है और एक माह का समय लगता है। उनके मुताबिक आयस्टर मशरूम के लिए सौ लीटर पानी में सौ एमएल फार्मालीन व साढ़े सात ग्राम कार्वेडाजीन का घोल तैयार करना पड़ता है। इस घोल में धान का पुआल या कुट्टी को बीस से पच्चीस घंटे तक डुबो कर रखना पड़ता है। बाद में कुट्टी को पानी से निथार कर पालीथिन बैग में तह लगाया जाता है। हर तह के बीच में मशरूम के बीज का छिड़काव किया जाता है। पन्द्रह दिनों में कवक जाल बनने पर पालीथिन को हटा कर बेड को प्लास्टिक जाली के सहारे टांग दिया जाता है। सप्ताह भर में खाने योग्य मशरूम तैयार हो जाता है।

लागत कम मुनाफा ज्यादा

किसान बताते हैं कि औसत एक किलो मशरूम की आधार खेत तैयार करने के लिए चार रुपये की कुट्टी, आठ रुपये का बीज, चार रुपये की दवा चार रुपये जाली व तीन-चार रुपये ट्रांसपोर्ट व अन्य में खर्च होते हैं। जबकि, तैयार माल के सौ रुपये मिल जाते हैं। श्री सिंह के मुताबिक मशरूम की खेती के लिए कमरे में नमी 80 से 85 तथा तापमान 15 से 23 डिग्री सेल्सियस के बीच होनी चाहिये।

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