Monday 28 May 2012

ढींगरी खुम्बी (मशरूम) का उत्पादन


खुम्ब संसार भर में सब्जी के रूप में बहुत चाव से खाया जाता है हमारे देश में भी खुम्ब (मशरूम) बहुत तेजी से एक स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। इसमें चिकनाई (फैट) तथा स्टार्च कम मात्रा में होती है। जिस कारण यह हृदय तथा मधुमेह के रोगियों के लिए उत्तम आहार है। इसके साथ ही ये प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिनों से भरपूर है साथ ही इसमें मानव जाति के लिए उपयोगी ९ प्रकार की एमीनो एसिड (अमीन युक्त अम्ल) पाये जाते हैं। जिस कारण भी यह शाकाहारियों के लिए उत्तम पौष्टिक आहार है।

संसार भर में करीब ५ मिलियन टन मशरूम का उत्पादन होता है। आजकल हमारे देश में ४०-४२ हजार टन खुम्ब प्रति वर्ष उगाई जा रही है। व्यावसायिक तौर पर हमारे यहॉं तीन प्रकार की खुम्ब का उत्पादन किया जाता है। इनमें बटन खुम्ब (एगैरिकस बाइस्पोरस) सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसके बाद ढ़ीगरी (प्लूरोटस जातियां) तथा पुराल खुम्ब/पैडीस्ट्रा (बोलवेरिएला जातियां) हैं। इनका उत्पादन व्यवसायिक तौर पर शुरू करने से पहले इसके उत्पादन करने का प्रशिक्षण लेना ज्यादा फायदेमंद रहता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के पादप रोग विज्ञान संभाग में प्रतिवर्ष खुम्ब की खेती का मौसम शुरू होने के साथ सितम्बर माह के अन्त में खुम्ब उत्पादन पर एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाता है। जिसका लाभ खुम्ब उत्पादक उठा सकते हैं। यहॉं संक्षिप्त में इनकी उत्पादन विधि का विवरण दिया जा रहा है।

ढींगरी खुम्बी

फल्यूरोटस की प्रजातियों को सामान्य तौर पर ढ़ीगरी खुम्बी कहा जाता है। अन्य खुम्बियों की तुलना में सरलता से उगायी जाने वाली डींगरी खुम्बी, स्वादिष्ट, सुगन्धित, मुलायम तथा पोषक तत्वों से परिपूर्ण होती है। वसा एवं शर्करा का अंश बहुत कम होने के कारण मोटापे, मधुमेह तथा रक्तचाप से पीडित व्यक्तियों कि लिये एक आदर्श आहार है।

ढींगरी खुम्बी उगाने के लिये २०-२८ डिग्री. सैल्सियस तापमान तथा ८०-८५ प्रतिशत आर्द्रता बहुत उपयुक्त होती है इसी कारण यह दक्षिण-पूर्वी एशिया के उन देशों मे प्रचुरता से उगाई जाती है जहां अधिक तापमान के कारण प्राकृतिक जलवायु में बटन खुम्बी नहीं उगायी जा सकती। यों तो विभिन्न मौसमों में भारतवर्ष के अलग-अलग भागों में ढींगरी खुम्बी उगायी जा सकती है किन्तु दक्षिण भारत तथा तटवर्ती क्षेत्रों में सर्दी का मौसम इसके लिये विशेष रूप से उपयुक्त है उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में अर्थात्‌ अक्टूबर से अप्रैल मध्य तक ढींगरी खुम्बी उगायी जा सकती है।

आजकल ढींगरी खुम्बी की लगभग १२ प्रजातियां भारत के विभिन्न भागों में उगायी जाती हैं। इनमें से प्ल्यूरोटस सजोरकाजू,प्ल्यू, फलोरिडा,प्ल्यू,ऑस्ट्रिएटस,प्ल्यू फलेबेलेटस तथा प्ल्यू. सिट्रोनोपिलेटस आदि प्रमुख प्रजातियां हैं। ढींगरी खुम्बी उगाने के लिये सेल्यूलोज युक्त पदार्थ जैसे विभिन्न कृषि अवशेष,लकडी का बुरादा, रद्दी कागज ,केले के कटे हुए तने आदि उपयुक्त होते हैं। अनाजों का भूसा अब तक का सर्वश्रेष्ठ माध्यम सिद्ध हुआ है। अन्य फफूंदी तथा हानिकारक जीवाणुओं के प्रकोप से बचने के लिये ढींगरी उगान के माध्यम को गर्म जल, जलवाष्प उथवा रसायनिक उपचार द्धारा निर्जीवीकृत कर लेना चाहिये।

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