विश्व में प्रचलित सबसे महंगी खाद्य सामग्रियों में स्वर्णभस्म के बाद मशरूम का स्थान आता है। इसको खाने से न केवल कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के होने की आशंका कम होती है बल्कि शुगर, हार्ट, बीपी व एनीमिया के रोगियों के लिए भी काफी लाभदायी होती है। इसका उत्पादन कर किसान न केवल अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं बल्कि खुद भी बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। कई किस्म की कृषि, उद्यान संबंधी फसलों में प्रयोग कर दर्जनों पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रखंड के एकम्बा निवासी प्रगतिशील युवा किसान अनीस कुमार ने जिले के लोगों को मशरूम की खेती की वैज्ञानिक तरीके से कराने का बीड़ा उठाया है।
अनिस के प्रतिभा देख आश्चर्यचकित समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह व पटना की एक स्वयंसेवी संस्था के निदेशक डा. सुमन लाल ने कहा कि अगर अनीस की बताई वैज्ञानिक विधियों से किसान मशरूम का उत्पादन करें तो बेगूसराय ही नहीं बल्कि संपूर्ण राज्य के किसानों की तरक्की के द्वार खुल जायेंगे। इस प्रशंसा से उत्साहित अनीस ने अब संपूर्ण जिले में मशरूम उत्पादन संबंधी जानकारी घूम-घूमकर किसानों को देने का निर्णय लिया है।
शनिवार को बलिया प्रखंड में लगभग 200 सौ किसानों को प्रशिक्षण देने के उपरांत रविवार को प्रखंड के छौड़ाही बाजार में किसानों को मशरूम उत्पादन के लाभ के बारे में विस्तार से बताया। श्री कुमार ने कहा कि विश्व की सबसे महंगी खाद्य सामग्री में स्वर्ण भस्म के बाद मशरूम का स्थान आता है। मशरूम के सेवन से मधुमेह, गठिया, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शरीर पर आक्रमण नहीं होता है। उन्होंने कहा कि मशरूम में कोलेस्ट्राल व स्टार्च कार्बाेहाइड्रेड के नहीं के बराबर होने से यह मधुमेह, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, खून की कमी के रोगियों के लिये काफी फायदेमंद है। मशरूम की खेती गरीब लोग अपने घर के अंदर भी कम सकते हैं। इसका उत्पादन करने में बहुत कम पूंजी की आवश्यकता होती है। यदि कृषि विभाग इसके स्पान (बीज) उपलब्ध कराने की पहल करे तो मशरूम उत्पादन में बेगूसराय जिला प्रथम स्थान पर रहेगा। उन्होंने बताया कि मशरूम के स्पान (बीज) उत्पादक किसान अनिरुद्ध सिंह भी इस प्रशिक्षण अभियान में बराबर का सहयोग कर रहे हैं। इनकी प्रेरणा से शाहपुर के सुनील कुमार, भोजा के राजेन्द्र चौधरी, छौड़ाही के विनय कुमार समेत दो दर्जन किसानों ने मशरूम उत्पादन प्रारंभ किया है।
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