मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र बघरा में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में वैज्ञानिकों ने 25 मशरूम उत्पादकों को उत्पादन की नवीनतम तकनीक के टिप्स दिए।
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के वैज्ञानिकों डा. रामजीत सिंह व डा. प्रशांत मिश्रा ने 25 उत्पादकों को मशरूम उत्पादन तकनीक में आ रही समस्याओं का समाधान किया। तथा विपणन तकनीक की जानकारी दी। वैज्ञानिकों का कहना था कि मशरूम में पौष्टिकता व औषधीय गुण होने के कारण भविष्य में इसकी खेती की अपार संभावनाएं हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन होगा और आय के साधन सुलभ होंगे। उन्होंने इसे उद्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया। प्रशिक्षण में मशरूम की पूरे वर्ष उत्पादित होने वाली प्रजातियों की जानकारी दी तथा बीज को विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला से प्राप्त करने को कहा।
प्रशिक्षण में केन्द्र के सह निदेशक प्रसार डा. सत्यप्रकाश ने कहा कि मशरूम में वसा की मात्रा बहुत कम होती है। प्रॉटीन व रेशे की मात्रा अधिक होने के कारण हृदय रोगियों के लिए यह रामबाण है। अतिरिक्त विटामिंस व मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कृषक जिनके पास भूमि नहीं है वे कम पूंजी लगाकर इसे रोजगार के रूप में अपनाकर आय अर्जित कर सकते हैं। आरके मोघा ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवकों को रोजगार सृजन हेतु प्राथमिकता दी जाएगी। प्रशिक्षण में डा. श्रीपाल राणा, सविता आर्या, डा. प्रदीप कुमार का सहयोग रहा।
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के वैज्ञानिकों डा. रामजीत सिंह व डा. प्रशांत मिश्रा ने 25 उत्पादकों को मशरूम उत्पादन तकनीक में आ रही समस्याओं का समाधान किया। तथा विपणन तकनीक की जानकारी दी। वैज्ञानिकों का कहना था कि मशरूम में पौष्टिकता व औषधीय गुण होने के कारण भविष्य में इसकी खेती की अपार संभावनाएं हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन होगा और आय के साधन सुलभ होंगे। उन्होंने इसे उद्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया। प्रशिक्षण में मशरूम की पूरे वर्ष उत्पादित होने वाली प्रजातियों की जानकारी दी तथा बीज को विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला से प्राप्त करने को कहा।
प्रशिक्षण में केन्द्र के सह निदेशक प्रसार डा. सत्यप्रकाश ने कहा कि मशरूम में वसा की मात्रा बहुत कम होती है। प्रॉटीन व रेशे की मात्रा अधिक होने के कारण हृदय रोगियों के लिए यह रामबाण है। अतिरिक्त विटामिंस व मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कृषक जिनके पास भूमि नहीं है वे कम पूंजी लगाकर इसे रोजगार के रूप में अपनाकर आय अर्जित कर सकते हैं। आरके मोघा ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवकों को रोजगार सृजन हेतु प्राथमिकता दी जाएगी। प्रशिक्षण में डा. श्रीपाल राणा, सविता आर्या, डा. प्रदीप कुमार का सहयोग रहा।
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