पूर्वाचल की जलवायु वैसे तो मिल्की मशरूम के लिए लाभदायक है, लेकिन यहां ढिंगरी व बटन मशरूम की खेती भी किसानों की किस्मत को चमका रही है। बस्ती शहरी क्षेत्र के दो किसानों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के दर्जन भर से ज्यादा किसान मशरूम की खेती कर रहे है, जबकि पूर्वाचल के सैकड़ों किसान भी इस खेती से जुड़कर लाभ हासिल कर रहे है।
औद्यानिक प्रयोग व प्रशिक्षण केंद्र ने यहां स्पान यूनिट खोली तो मशरूम की खेती से किसानों को जोड़ा जाने लगा। नतीजा, जिले में अब तक दो दर्जन से अधिक किसान मशरूम की खेती से जुड़ चुके है। इस वर्ष यूनिट ने अब तक ढिंगरी मशरूम के लिए साढ़े तीन क्विंटल बीज किसानों को मुहैया कराया है। इसके अलावा अभी एक क्विंटल की मांग है। जिले के अलावा गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, बलिया, जौनपुर जिलों में केंद्र के स्पान से ही मशरूम की खेती हो रही है। गौरतलब है कि यहां के अलावा सिर्फ लखनऊ में स्पान यूनिट है। यूनिट के चंद्रशेखर त्रिपाठी कहते है कि पिछले तीन वर्षो में मशरूम के क्षेत्र में केन्द्र लगातार किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। किसान आगे आए हैं, यह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मशरूम के लिए तापमान, आर्द्रता व स्वच्छता की जरूरत होती है। ढिंगरी प्रजाति में 22 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है, जबकि बटन मशरूम के लिए अक्टूबर माह से ही तैयारी किसान करते है। दिसम्बर माह में इसकी बुआई होती है। 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान में फ्रूटिंग होती है। कम तापमान में बढ़त धीमी हो जाती है।
''मशरूम ने पूर्वाचल में किसानों के आर्थिक प्रगति का द्वार खोला है। केन्द्र से अब तक पूर्वाचल के सैकड़ों किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके अलावा तीन वर्षो में कई क्विंटल मशरूम स्पान भी उपलब्ध कराए गए है।''
औद्यानिक प्रयोग व प्रशिक्षण केंद्र ने यहां स्पान यूनिट खोली तो मशरूम की खेती से किसानों को जोड़ा जाने लगा। नतीजा, जिले में अब तक दो दर्जन से अधिक किसान मशरूम की खेती से जुड़ चुके है। इस वर्ष यूनिट ने अब तक ढिंगरी मशरूम के लिए साढ़े तीन क्विंटल बीज किसानों को मुहैया कराया है। इसके अलावा अभी एक क्विंटल की मांग है। जिले के अलावा गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, बलिया, जौनपुर जिलों में केंद्र के स्पान से ही मशरूम की खेती हो रही है। गौरतलब है कि यहां के अलावा सिर्फ लखनऊ में स्पान यूनिट है। यूनिट के चंद्रशेखर त्रिपाठी कहते है कि पिछले तीन वर्षो में मशरूम के क्षेत्र में केन्द्र लगातार किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। किसान आगे आए हैं, यह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मशरूम के लिए तापमान, आर्द्रता व स्वच्छता की जरूरत होती है। ढिंगरी प्रजाति में 22 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है, जबकि बटन मशरूम के लिए अक्टूबर माह से ही तैयारी किसान करते है। दिसम्बर माह में इसकी बुआई होती है। 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान में फ्रूटिंग होती है। कम तापमान में बढ़त धीमी हो जाती है।
''मशरूम ने पूर्वाचल में किसानों के आर्थिक प्रगति का द्वार खोला है। केन्द्र से अब तक पूर्वाचल के सैकड़ों किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके अलावा तीन वर्षो में कई क्विंटल मशरूम स्पान भी उपलब्ध कराए गए है।''
hi,I am Prabhu Kumar Singh from Kushinagar Uttar Pradesh and I want to know where do I gate Mushroom Cultivation training at any near place or any training Institute.
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