पटना। इंजीनियर अगर खेती करने लगे तो हर किसी को आश्चर्य होगा। परंतु बिहार के नालंदा जिले का बिंद गांव निवासी एक इंजीनियर न केवल खुद खेती से अच्छी आमदनी कर रहा है, बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दे रहा है।
बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिन्दरी से वर्ष 1991 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले संजीव कुमार ने दिल्ली में दो वर्ष नौकरी भी की परंतु गांव की मिट्टी की सौंधी महक उन्हें वापस गांव खींच लाई।
गांव लौटने के बाद उन्होंने मशरुम की खेती प्रारम्भ की। उनकी खेती करने की सनक पर लोगों ने शुरू में खूब ताने दिए। परंतु वे अपने इरादे से नहीं भटके।
संजीव ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने कई युवाओं को जोड़कर एक समूह बनाया और उन्हें मशरुम की खेती के लिए तैयार किया। मशरुम की उन्नत खेती के लिए संजीव ने हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित राष्ट्रीय खुंभ (मशरुम) अनुसंधान केन्द्र में प्रशिक्षण भी हासिल किया।
आज मशरुम की खेती नालंदा जिले के बिंद, जहाना, रसूलपुर, मेंहदीपुर, धर्मपुर, दायनचक सहित नवादा और पटना जिले के कई गांवों में की जा रही है। संजीव ने बताया कि आज इस व्यवसाय से जुड़े प्रत्येक लोगों को एक वर्ष में 40-50 हजार रुपए की आमदनी हो रही है।
उन्होंने बताया कि पटना में प्रतिदिन 10 क्विंटल मशरुम खपाने वाले दिल्ली के व्यापारियों को भी बिहार के मशरुम के कारण परेशानी उठानी पड़ रही है। हालांकि उन्होंने माना कि भारी मांग के बावजूद वे मात्र एक क्विंटल मशरुम ही प्रतिदिन पटना भेज पा रहे हैं।
उन्होंने इसके लिए बीज की अनुपलब्धता को बड़ा कारण बताया। अभी वे रांची से मशरुम का बीज लाते हैं। बिहार सरकार द्वारा ‘किसान श्री’ पुरस्कार से सम्मानित संजीव ने इस वर्ष चार हेक्टेयर जमीन पर पपीते की खेती प्रारम्भ की है।
उन्होंने एक हेक्टेयर भूमि पर ढाई हजार ‘रेड लेडी’ पपीता लगाया है। अनुमान के मुताबिक एक पौधे से 18 माह में 350 रुपए कमाए जा सकते हैं।
बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिन्दरी से वर्ष 1991 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले संजीव कुमार ने दिल्ली में दो वर्ष नौकरी भी की परंतु गांव की मिट्टी की सौंधी महक उन्हें वापस गांव खींच लाई।
गांव लौटने के बाद उन्होंने मशरुम की खेती प्रारम्भ की। उनकी खेती करने की सनक पर लोगों ने शुरू में खूब ताने दिए। परंतु वे अपने इरादे से नहीं भटके।
संजीव ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने कई युवाओं को जोड़कर एक समूह बनाया और उन्हें मशरुम की खेती के लिए तैयार किया। मशरुम की उन्नत खेती के लिए संजीव ने हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित राष्ट्रीय खुंभ (मशरुम) अनुसंधान केन्द्र में प्रशिक्षण भी हासिल किया।
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ReplyDeleteRAMESH SHARMA
JAIPUR(RAJASTHAN)
09887197824
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ReplyDeleteRAKESH KUMAR
PATNA BIHAR
MO 9122102237