मशरूम
रोजगार के लगातार घटते अवसरों के मद्देनजर भारत सरकार इस समस्या से निबटने के लिए स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर अधिक बल दे रही है। इन्हीं स्वरोजगार योजनाओं में मशरूम उत्पादन भी एक है। सरकार मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के ऋण कम ब्याज पर मुहैया करा रही है। अब तो इस क्षेत्र में निजी बैंक भी सक्रिय होते जा रहे है, जिसका सीधा फायदा उत्पादकों को मिल रहा है।मशरूम है क्या
मशरूम एक पौष्टिक आहार है और इसकी स्वादिष्ट सब्जी बनती है। इसमें विभिन्न प्रकार के एमीनो आदि तत्त्व पाये जाते हैं, जैसे प्रोटीन, खनिज, विटामिन आदि। मशरूम का प्रयोग बहुत-सी बीमारियों से निजात दिलाता है। हृदय रोग तथा मधुमेह जैसी बीमारियों के लिए भी यह अच्छा है। इसमें वसा व स्टार्च कम मात्रा में पाया जाता है और फोलिक तथा लौह तत्त्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो रक्त में लाल कण बनाने में सहयोग देते हैं। मशरूम की खेती करना बहुत आसान है। इसे पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी अपने बल पर आसानी से कर सकती हैं। इस व्यवसाय के लिए एक बीघा जमीन से भी व्यवसाय शुरू किया जा सकता है और अधिकतम इसे कितना भी बढ़ाया जा सकता है। मशरूम की खेती के लिए भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की ओर से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बकायदा प्रशिक्षण संस्थानों में इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अगर आपके घर में 2 या 3 व्यक्ति हैं तो भी आप इस व्यवसाय को सुचारु रूप से कर सकते हैं।
खेती करने का ढंग
हमारे देश में अमूमन तीन प्रकार के मशरूम का उत्पादन किया जाता है। सफेद बटन खम्ब- उत्पादन समय अक्तूबर से मार्च, पुराल मशरूम- मई से अगस्त, ढींगरी मशरूम- अगस्त से अप्रैल के बीच। यदि तीन बीघे में मशरूम उत्पादन की योजना है तो कुल खर्च लगभग 50 हजार के करीब आता है। इतने खर्च में आप 30 क्विंटल मशरूम उगा सकते हैं, जिसमें करीब 1 लाख रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित हो सकता है। प्रशिक्षण के दौरान सभी क्रियाएं बारीकी से बताई जाती है। इस दौरान प्रेक्टिकल भी करवाया जाता है।
दूसरों को रोजगार
जब आपका यह स्वरोजगार शुरू हो जाएगा और ठीक चलने लगेगा तो आप कई और जरूरतमंदों को भी रोजगार दे सकते हैं। वास्तव में यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें समूचे परिवार को घर बैठे रोजगार मिल जाता है।
तकनीकी हुनर जरूरी
मशरूम का उत्पादन शुरू करने से पहले तकनीकी जानकारी हासिल करना बहुत जरूरी है। तकनीकी हुनर से ही अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। इसके लिए आप विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों से कोर्स कर सकते हैं। कोर्स को करने के बाद आप थोड़े से प्रयासों से अप्रत्याशित परिणाम हासिल कर सकते हैं। मशरूम के लिए मौसम का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि उचित तापमान व सापेक्षिक आद्र्रता का खासा महत्त्व होता है।
यहां से करें कोर्स
[] पादप रोग संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली
[] गोविंद वल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर पंत नगर, जिला उधमसिंह नगर -263143, उत्तराखंड। वेबसाइट-www.gbpuat.ac.in
[] राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर-048125, बिहार,
बेबसाइट- www.pusavarsity.org.in
[] स्नोव्यू मशरूम लैब एवं ट्रेंिनग सेंटर 1064, गांधी आश्रम, नरेला, दिल्ली-40
[] इसके अलावा विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में भी मशरूम की खेती से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
No comments:
Post a Comment